- प्रोफैसर कवलदीप सिंघ कंवल
कोई ज़मीं को बेचे कोई आसमान को बेचे
कोई ख़ुदी को बेचे तो कोई जहान को बेचे
कोई वफ़ा को बेचे कोई सनमान को बेचे
कोई दिल को बेचे तो कोई ज़ुबान को बेचे
कोई बिक गया ख़ुद ही कोई औकात भी बेचे
क्या ईमाँ तेरा काज़ी ख़ुदा की ज़ात जो बेचे
~०~०~०~०~
- پروپھئسر کولدیپ سِںگھ کنول
کوئی ظمیں کو بیچے کوئی آسمان کو بیچے
کوئی خُدی کو بیچے تو کوئی جہان کو بیچے
کوئی وفا کو بیچے کوئی سنمان کو بیچے
کوئی دِل کو بیچے تو کوئی ظُبان کو بیچے
کوئی بِک گیا خُد ہی کوئی اؤکات بھی بیچے
کیا ئیماں تیرا قاضی خُدا کی ظاط جو بیچے
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