- प्रोफैसर कवलदीप सिंघ कंवल
धोखा देने भर से ही अगर होते थप्पड़ रसीद मुल्क में
तो इस देश ने नेतायों का कब से नस्लघात किया होता
कभी झंडे तो कभी स्याही कभी अंडे घूसे थप्पड़ बरसें
पिंजर भी नुच जाते उनके अगर ऐसे बदला लिया होता
एक आदमी आम सा बेचारा कोई भी आ पीट जाता है
सीधा इनकाउंटर होता उसका जो मूंह उधर किया होता
ऐसा भी क्या यह नेता जनता के बीच निकलता सीधा
अरे कुछ कारवाँ तो रखता कुछ रौयब जान जिया होता
वो जितने सालों थे चिपके ये उतने दिन भी नहीं काटा
कुछ रिश्वत कोई दंगा फैलाता यूँ न इस्तीफ़ा दिया होता
है मूर्ख यह कैसा सत्ता रहते जो धरने पे बैठ गया
कुछ सदन तो ठप्प करता कोई मिर्च स्प्रे किया होता
कुछ विकास का शोरोगुल कोई प्रापेगंडे का तड़का होता
बैठ पूँजीपतियों की गोदी में जीवन आनंद लिया होता
पत्नी को कुर्सी दिलवाता कंवल बेटा भी मंत्री बनता
मिल बाँट के इसने भी कुछ काम ढंग से किया होता
No comments:
Post a Comment