अगर प्रेम व्योपार है तो इस व्योपार का परमो-लाभ प्रियतम की लगन में स्वयं को बिन मोल के पूर्णतः बेच देना है; पूर्णतः कि स्वयं में अपने अस्तित्व का एक भी कण शेष ना रहे, बाकी रखने लायक अगर एक कण भी बच जाये तो यह अद्वितीय प्रेम-सौदा लाभ का न रहेगा, तत्क्षण हानि का हो जायेगा |
- प्रोफैसर कवलदीप सिंघ कंवल
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