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Sunday, April 24, 2011

एक भगवे भगवान की मौत पे..


- प्रोफेसर कवलदीप सिंघ कंवल

भगवे भेसों वाले,
फोटो से परगट हो..
खुद को रब्ब कहलाये,
है तो फिर ज़िन्दा हो..
भारी जो झूठों का,
भरा था घड़ा तूने..
तेरी सांस जब छूटी,
साथ में ही फूटा वो..
भगवें भेसों वाले.....
 
चमत्कारी तूँ बने,
राख कभी लिंगम हों..
तुझे तब रब्ब मानूँ,
सांसें फिर परगट हों..
लोगों पे करे दावे,
जीवन तेरे हाथों हों..
अपनी आई जब बारी,
मौत के गिरा आगे हों..
भगवें भेसों वाले.....
 
रहेगी जब तक जनता,
अंधी की अंधी,
तेरे जैसे ढोंगी,
भरे दिन लूटें हों..
सल्तनत तेरे जैसों की,
बढ़े दिन रात तब तक,
उठेगी न जनता,
मिटाएगी न ऐसों को ..
भगवें भेसों वाले.....
 
भगवें भेस वाले! तूँ तो अमर नहीं रह पाया, पर दुआ है तेरी अस्पताल में तड़फ-तड़फ कर हुयी मौत जरूर अमर हो जाये और जनता को हमेशा याद दिलाये कि जब अपना काल आता है तो बड़े-बड़े चमत्कारी उस के आगे घुटने टेक देते हैं...

1 comment:

  1. ਸਾਈ ਭਗਤਾਂ ਦੇ ਨਾਮ ਦੋ ਸਤਰਾਂ:

    ਸੱਚ ਦੀ ਜਦੋਂ ਗਲ ਕੀਤੀ,
    ਸਾਈ-ਭਗਤ ਪਿੱਟ-੨ ਨੀਲੇ ਹੋਏ |
    ਹੋਰ ਕਰਨ ਵੀ ਕੀ ਵਿਚਾਰੇ,
    ਰੱਬ ਹੀ ਜਿਹਨਾਂ ਦਾ ਮੋਏ !

    ਤਰਕ ਅਕਲ ਵਿੱਚ ਉੱਤਰ ਹੈ ਨਹੀਂ,
    ਸੱਚ ਦੇਖ ਜੋ ਬੂਹੇ ਢੋਏ |
    ਅੰਨੀ ਸ਼ਰਧਾ ਥੋਥੇ ਵਿਚਾਰ,
    ਪੱਲੇ ਹੀ ਜਦ ਖੇਹ ਹੋਏ !

    ਪ੍ਰਭੁ ਪਤੀ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਆਪਣੇ,
    ਦਰ-ਦਰ ਜਾ ਖੜ੍ਹੋਏ |
    ਵੇਸਵਾ ਵੀ ਆਖੀਏ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ,
    ਉਹ ਵੀ ਬੇਪਤ ਹੋਏ !

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